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'कृतान्तागार' में आपका स्वागत हैं ।⇝ WELCOME TO KṚTĀNTĀGĀRA.... ( Vinishchay Point ) आपको यहाँ मिलेगी पू. श्रमण अनगाराचार्य श्री जी के कार्यक्रमों की जानकारी, संघस्थ सभी साधुओं का परिचय , जिनागम के सभी ग्रन्थ एवं उनसे सम्बन्धित ऑडियोज् और वीडियोज्
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पिच्छिका परिवर्तन ललितपुुुर 03.11.19 ( pichchhika parivaratan lalitpur. U. P.)
प. पू. श्रमण अनगाराचार्य श्री विनिश्चयसागर जी महाराज
ससंघ के पिच्छि परिवर्तन समारोह में उमड़ा जन सैलाव
जीवन में भावना से ही पूरी होती है सम्पूर्ण मनोकामना :
प. पू. श्रमण अनगाराचार्य श्री विनिश्चयसागर जी महाराज
ललितपुर । श्री दिगम्बर जैन क्षेत्रपाल मंदिर जी स्टेशन रोड ललितपुर में 03 नवम्बर 2019 को
परम पूज्य श्रमण अनगाराचार्यश्री विनिश्चयसागर जी महाराज ससंघ का पिच्छि का परिवर्तन समारोह
अगाध श्रद्धा के साथ आयोजित किया गया । श्रद्धालुओं ने संयमव्रत रखकर श्रमण अनगाराचार्यश्री के करकमलों से पुरानी पिच्छिका प्राप्त की और नई पिच्छि उन्हें प्रदान की ।
इस अवसर पर श्रमण अनगाराचार्य श्री विनिश्चयसागर जी महाराज ने अपनी अमृतमयी वाणी में कहा कि
जीवन में भावना से ही कामना पूरी होती है । उन्होंने कहा कि श्रद्धालु जो भी भावना प्रभु से करते हैं उनकी
कामना पूरी होती है । बशर्ते प्रभु की आराधना सच्चे मन से , भक्तिभाव पूर्वक , निस्वार्थ भावना से की गई हो ।
हमें वीतरागता , सर्वज्ञ और हितोपदेशी की ही आराधना करना चाहिए । उन्होंने कहा कि जब संत की वाणी
हो तो दिमाग नहीं दिल लगाना चाहिए , तभी अन्तः करण को छूकर हृदयग्राही बनती है । पिच्छि साधु के
संयम का उपकरण है । इसके पाँच गुण होते हैं । साधु हमेशा अपने पास पिच्छि रखते है । यह संयम में
सहायक होती है । पिच्छि आचरण - संयम में परिवर्तन का बोध कराती है ।
इस दौरान दिगम्बर जैन पंचायत समिति ललितपुर द्वारा चातुर्मास स्थापना के लिए स्थापित कलशों
को पुर्ण्याजक परिवारों को भेंट किये गये । धर्मसभा का शुभारंभ संघस्थ ब्र . राहुल भैया के मंगलाचरण से
हुआ । इस मौके पर मंगलगीत की प्रस्तुति मनीषा , नीलू , नीलेश रसिया ने किया । आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन शिखरचंद जैन जलंधर ने किया । जैन पंचायत के अध्यक्ष श्री अनिल जैन अंचल ने आचार्यश्री के चातुर्मास की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला । मुख्य अतिथि जिला जज मदन लाल निगम ने आचार्यश्री को श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद ग्रहण किया । इस दौरान विनिश्चय ग्रुप के अध्यक्ष राजीव जैन झांसी , संतोष जैन पटना और मुकेश जैन सागर आदि ने अपने विचार प्रस्तुत किये । इस अवसर पर वारसाणुपेक्खा ग्रंथ का विमोचन पवन रेणु जैन दिल्ली आदि अतिथियों ने अपने कर कमलों से किया ।
इन्हें मिला सौभाग्य : पिच्छिका परिवर्तन के प्रारंभ में
श्रमण अनगाराचार्य विनिश्चयसागर जी महाराज की
पुरानी पिच्छिका अलका - अमितप्रिय जैन ललितपुर ने प्राप्त की । नवीन पिच्छि समता - आनंद जैन , कमला - कपूरचंद्र जैन लागौन , मनोरमा - जयकुमार चौधरी , सुलोचना - नरेश मुक्ता , शिवांगी - विशाल जैन मडवैया और मंजू - राजकुमार जैन उमरिया ने प्रदान की ।
मुनि श्री नेमीसागर जी महाराज की पुरानी पिच्छि
शशि - महेन्द्र जैन जबलपुर ने प्राप्त की । नवीन पिच्छि शीलचंद - राममती , अनीता मोदी वीरमती , प्रांजल ,
मुन्नीबाई व निहालचंद्र जैन ने प्रदान की ।
मुनि श्री प्रांजनसागर की पुरानी पिच्छि मालती जैन , देवेन्द्र कुमार सर्राफ व नवीन पिच्छी मीना - विनय साढूमल , संगीता - सुरेन्द्र जैन बिरधा , इंद्र , सुनील जैन , शशिप्रभा कमलेश जैन लागीन ने प्रदान की ।
मुनि श्री प्रवीरसागर जी महाराज की पुरानी पिच्छी सरोज - नरेन्द्रकुमार जैन बीना व नवीन पिच्छी शीलादेवी - नरेन्द्र जैन बिरधा , सरिता - आदेश जैन , सुमन - नरेन्द्र जैन चढरउ ने प्रदान की ।
मुनि श्री प्रत्यक्षसागर जी महाराज की पुरानी पिच्छी मीना - कोमलचंद्र जैन और नवीन पिच्छि संतोष जैन
शोभा जैन , श्रद्धा जैन - अमित जैन चंदन , अंजना - संतोष जैन सेरवांस ने प्रदान की ।
मुनि श्री प्रज्ञानसागर जी महाराज की पुरानी पिच्छि रजनी - रविंद जैन एवं नवीन पिच्छि स्मिता - संजीव जैन , सुमन - सुनील जैन चौधरी और साधना - अनिल जैन सागर ने प्रदान की ।
क्षुल्लक प्रज्ञांश सागर जी महाराज की पुरानी पिच्छी
संध्या - हेमंत जैन और नवीन पिच्छि कल्पना - स्वदेश जैन , राखी - राजीव जैन ने प्रदान की ।
क्षुल्लक प्रकीर्तसागर जी महाराज की पुरानी पिच्छी विद्या - नरेन्द्रकुमार जैन एवं नई पिच्छी इन्द्रा - सुनील नुना , सुलोचना - संतोष बुखारिया आदि ने प्रदान करने का सौभाग्य प्राप्त किया ।
आयोजन के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने सभी का मन जीत लिया ।
इस दौरान निकटस्थ एवं दूरस्थ अनेक स्थानों ने सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं का जन सैलाव
उपस्थित रहा ।
न्यूज प्रेषक
- डॉ . सुनील जैन संचय ,
ललितपुर
|
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| प्रवचन
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| दशलक्षण पर्व | प्रश्नोत्तर रत्नमालिका
| इष्टोपदेश | कार्यक्रम
| भजन
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ससंघ के पिच्छि परिवर्तन समारोह में उमड़ा जन सैलाव
जीवन में भावना से ही पूरी होती है सम्पूर्ण मनोकामना :
प. पू. श्रमण अनगाराचार्य श्री विनिश्चयसागर जी महाराज
ललितपुर । श्री दिगम्बर जैन क्षेत्रपाल मंदिर जी स्टेशन रोड ललितपुर में 03 नवम्बर 2019 को
परम पूज्य श्रमण अनगाराचार्यश्री विनिश्चयसागर जी महाराज ससंघ का पिच्छि का परिवर्तन समारोह
अगाध श्रद्धा के साथ आयोजित किया गया । श्रद्धालुओं ने संयमव्रत रखकर श्रमण अनगाराचार्यश्री के करकमलों से पुरानी पिच्छिका प्राप्त की और नई पिच्छि उन्हें प्रदान की ।
इस अवसर पर श्रमण अनगाराचार्य श्री विनिश्चयसागर जी महाराज ने अपनी अमृतमयी वाणी में कहा कि
जीवन में भावना से ही कामना पूरी होती है । उन्होंने कहा कि श्रद्धालु जो भी भावना प्रभु से करते हैं उनकी
कामना पूरी होती है । बशर्ते प्रभु की आराधना सच्चे मन से , भक्तिभाव पूर्वक , निस्वार्थ भावना से की गई हो ।
हमें वीतरागता , सर्वज्ञ और हितोपदेशी की ही आराधना करना चाहिए । उन्होंने कहा कि जब संत की वाणी
हो तो दिमाग नहीं दिल लगाना चाहिए , तभी अन्तः करण को छूकर हृदयग्राही बनती है । पिच्छि साधु के
संयम का उपकरण है । इसके पाँच गुण होते हैं । साधु हमेशा अपने पास पिच्छि रखते है । यह संयम में
सहायक होती है । पिच्छि आचरण - संयम में परिवर्तन का बोध कराती है ।
इस दौरान दिगम्बर जैन पंचायत समिति ललितपुर द्वारा चातुर्मास स्थापना के लिए स्थापित कलशों
को पुर्ण्याजक परिवारों को भेंट किये गये । धर्मसभा का शुभारंभ संघस्थ ब्र . राहुल भैया के मंगलाचरण से
हुआ । इस मौके पर मंगलगीत की प्रस्तुति मनीषा , नीलू , नीलेश रसिया ने किया । आचार्यश्री का पाद प्रक्षालन शिखरचंद जैन जलंधर ने किया । जैन पंचायत के अध्यक्ष श्री अनिल जैन अंचल ने आचार्यश्री के चातुर्मास की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला । मुख्य अतिथि जिला जज मदन लाल निगम ने आचार्यश्री को श्रीफल समर्पित कर आशीर्वाद ग्रहण किया । इस दौरान विनिश्चय ग्रुप के अध्यक्ष राजीव जैन झांसी , संतोष जैन पटना और मुकेश जैन सागर आदि ने अपने विचार प्रस्तुत किये । इस अवसर पर वारसाणुपेक्खा ग्रंथ का विमोचन पवन रेणु जैन दिल्ली आदि अतिथियों ने अपने कर कमलों से किया ।
इन्हें मिला सौभाग्य : पिच्छिका परिवर्तन के प्रारंभ में
श्रमण अनगाराचार्य विनिश्चयसागर जी महाराज की
पुरानी पिच्छिका अलका - अमितप्रिय जैन ललितपुर ने प्राप्त की । नवीन पिच्छि समता - आनंद जैन , कमला - कपूरचंद्र जैन लागौन , मनोरमा - जयकुमार चौधरी , सुलोचना - नरेश मुक्ता , शिवांगी - विशाल जैन मडवैया और मंजू - राजकुमार जैन उमरिया ने प्रदान की ।
मुनि श्री नेमीसागर जी महाराज की पुरानी पिच्छि
शशि - महेन्द्र जैन जबलपुर ने प्राप्त की । नवीन पिच्छि शीलचंद - राममती , अनीता मोदी वीरमती , प्रांजल ,
मुन्नीबाई व निहालचंद्र जैन ने प्रदान की ।
मुनि श्री प्रांजनसागर की पुरानी पिच्छि मालती जैन , देवेन्द्र कुमार सर्राफ व नवीन पिच्छी मीना - विनय साढूमल , संगीता - सुरेन्द्र जैन बिरधा , इंद्र , सुनील जैन , शशिप्रभा कमलेश जैन लागीन ने प्रदान की ।
मुनि श्री प्रवीरसागर जी महाराज की पुरानी पिच्छी सरोज - नरेन्द्रकुमार जैन बीना व नवीन पिच्छी शीलादेवी - नरेन्द्र जैन बिरधा , सरिता - आदेश जैन , सुमन - नरेन्द्र जैन चढरउ ने प्रदान की ।
मुनि श्री प्रत्यक्षसागर जी महाराज की पुरानी पिच्छी मीना - कोमलचंद्र जैन और नवीन पिच्छि संतोष जैन
शोभा जैन , श्रद्धा जैन - अमित जैन चंदन , अंजना - संतोष जैन सेरवांस ने प्रदान की ।
मुनि श्री प्रज्ञानसागर जी महाराज की पुरानी पिच्छि रजनी - रविंद जैन एवं नवीन पिच्छि स्मिता - संजीव जैन , सुमन - सुनील जैन चौधरी और साधना - अनिल जैन सागर ने प्रदान की ।
क्षुल्लक प्रज्ञांश सागर जी महाराज की पुरानी पिच्छी
संध्या - हेमंत जैन और नवीन पिच्छि कल्पना - स्वदेश जैन , राखी - राजीव जैन ने प्रदान की ।
क्षुल्लक प्रकीर्तसागर जी महाराज की पुरानी पिच्छी विद्या - नरेन्द्रकुमार जैन एवं नई पिच्छी इन्द्रा - सुनील नुना , सुलोचना - संतोष बुखारिया आदि ने प्रदान करने का सौभाग्य प्राप्त किया ।
आयोजन के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने सभी का मन जीत लिया ।
इस दौरान निकटस्थ एवं दूरस्थ अनेक स्थानों ने सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं का जन सैलाव
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